शुक्रवार, 10 दिसंबर 2010

ग़ज़ल

मेरे दिल से तेरा दिल कुछ करीब सा है
मुझसे तेरा ये रिश्ता कुछ अजीब सा है

ये तो बस समझने का फर्क है वरना
कोई दोस्त लगता है,कोई रकीब सा है

कुछ तो फर्क है जो दोनों अलग से हैं
तू खुशनसीब सा है,वो बदनसीब सा हैं

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