हम ख़याल
मंगलवार, 26 अप्रैल 2011
धुआं
कैसे धुआं उठता है
कैसे
जाने कैसे
रह रह के उठता है मगर
कभी उस पार की
इंटें बनाने वाली चिमनी से
कभी शाम को घर के चूल्हे से
कभी खेतों में लगी आग से
और कभी कभी दिल से भी उठता है
धुआं
न जाने कैसे
2 टिप्पणियां:
SAHITYIKA
ने कहा…
:)
koi jawab mila??? :)
naa jane kaise?
28 अप्रैल 2011 को 12:08 am बजे
Shahid Ansari
ने कहा…
nahi mila..
:(
28 अप्रैल 2011 को 3:13 pm बजे
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2 टिप्पणियां:
:)
koi jawab mila??? :)
naa jane kaise?
nahi mila..
:(
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