ग़लत चीज़ें खींच लेती है अपनी ओर
क्योंकि उन्हें करने के लिए हिम्मत
की दरकार होती है?
या वो बहुत आसान मालूम होती हैं?
या बस ऐसे
कुछ सही करने में भी तो वक़्त लगता है
कितना कुछ चाहिए होता है
थोडा वक़्त और बहुत सारा ध्यान
गौर करना पड़ता है बारीकियों पर
लेकिन इस दरमयान
पता ही नहीं चलता
कि आखिर हो क्या रहा है?
2 टिप्पणियां:
सुंदर विचार ... यही खेल है जीवन का....
shukriya..!
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