झूठ का एक पुलिंदा हो
तुम,
तुम,
बांट रहे हो झूठ
सबको बराबर बराबर,
सबको बराबर बराबर,
लोग खर्च कर रहे हैं
अपना समय और ऊर्जा,
तुम पर,
तुम्हारी झूठी बातों पर,
अपना समय और ऊर्जा,
तुम पर,
तुम्हारी झूठी बातों पर,
जब एक पुराना हो जाता है,
तुम नया गढ़ लेते हो,
तुम नया गढ़ लेते हो,
लोग तुम्हारे झूठ पर
इतना यकीन करते हैं,
इतना यकीन करते हैं,
जितना वो ऊपर वाले पर
भी ना करते हों।
भी ना करते हों।
अच्छा चल रहा है ,
झूठ का कारोबार,
नफरत का कारोबार,
झूठ का कारोबार,
नफरत का कारोबार,
अगले साल जब
फसल उगेगी,
फसल उगेगी,
तो लोग झूठ काटेंगे,
उनके बच्चे पलेंगे,
तुम्हारे बोये झूठों पर,
उनके बच्चे पलेंगे,
तुम्हारे बोये झूठों पर,
तब तक
जब तक कि एक सच कहने वाला
नहीं आता,
जब तक कि एक सच कहने वाला
नहीं आता,
तब तक
जब सच को सच
मानने वाले नहीं आते ।
जब सच को सच
मानने वाले नहीं आते ।
तुम्हारा झूठ
और उसका सच
मिलेंगे इक दिन,
और उसका सच
मिलेंगे इक दिन,
तब तक भले देर हो जाये ।
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