खुद भी परेशान होता है
दूसरों को भी परेशान करता है
दूसरों को भी परेशान करता है
एक परेशान आदमी,
आईना तलाश करता है
दूसरों को दिखाने के लिए
दूसरों को दिखाने के लिए
आईना तलाश करता है
खुद को देखने के लिए
खुद को देखने के लिए
मुश्किलों से जब लड़ता है
एक परेशान आदमी,
एक परेशान आदमी,
किनारा ढूँढता है
मझधार में फँसा
रोशनी ढूँढता है
अँधेरे से घिरा
रोशनी ढूँढता है
अँधेरे से घिरा
जब आरज़ू दम तोड़ देती है
उम्मीद ढूँढता है
एक परेशान आदमी ।
उम्मीद ढूँढता है
एक परेशान आदमी ।
कोशिशे करता है,
ज़िन्दगी से लड़ता है
जो बन पड़े वो सब करता है,
ज़िन्दगी से लड़ता है
जो बन पड़े वो सब करता है,
लोगों की सुनता है,
हाथ भी फैलाता है,
जब कोई मदद नहीं आती,
तो अन्दर से टूट जाता है,
हाथ भी फैलाता है,
जब कोई मदद नहीं आती,
तो अन्दर से टूट जाता है,
फिर हार कर खुदा को
याद करता है
एक परेशान आदमी ।
याद करता है
एक परेशान आदमी ।
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