तुम्हारी बातें
दो खामोशियों के बीच
का एक अंतराल हैं।
दो खामोशियों के बीच
का एक अंतराल हैं।
उन खामोशियों में यूँ तो हर
कुछ होता है,
एहसास तुम्हारे,
यादें तुम्हारी,
तुम्हारी खुशबू,
कुछ होता है,
एहसास तुम्हारे,
यादें तुम्हारी,
तुम्हारी खुशबू,
पर जो नहीं होती
वो है आवाज़,
वो है आवाज़,
मीठी मधुर,
प्यारी प्यारी,
घी में घुली शक्कर
जितनी मखमली,
प्यारी प्यारी,
घी में घुली शक्कर
जितनी मखमली,
तुम्हारी बातों में
क्या कुछ नहीं होता ?
क्या कुछ नहीं होता ?
जीवन की आशा,
जीने की इच्छा,
चाहने की भूख,
न चाहने की निराशा,
जीने की इच्छा,
चाहने की भूख,
न चाहने की निराशा,
सुर्ख आकाश की
लाल उर्जा से लबरेज,
लाल उर्जा से लबरेज,
कहाँ से लाती हो ये सब?
ये सारा कुछ,
ये सारा कुछ,
हवा से भेज दो थोड़ा
मुझे भी,
कर लो बातें फिर से अंतराल के बाद ।
मुझे भी,
कर लो बातें फिर से अंतराल के बाद ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें