गुरुवार, 8 नवंबर 2018

तुम्हारी बातें

तुम्हारी बातें
दो खामोशियों के बीच
का एक अंतराल हैं।

उन खामोशियों में यूँ तो हर 
कुछ होता है,
एहसास तुम्हारे,
यादें तुम्हारी,
तुम्हारी खुशबू,
पर जो नहीं होती
वो है आवाज़,

मीठी मधुर,
प्यारी प्यारी,
घी में घुली शक्कर
जितनी मखमली,
तुम्हारी बातों में
क्या कुछ नहीं होता ?

जीवन की आशा,
जीने की इच्छा,
चाहने की भूख,
न चाहने की निराशा,

सुर्ख आकाश की
लाल उर्जा से लबरेज,

कहाँ से लाती हो ये सब?
ये सारा कुछ,

हवा से भेज दो थोड़ा
मुझे भी,
कर लो बातें फिर से अंतराल के बाद ।

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