गुरुवार, 8 नवंबर 2018

ग़ज़ल,

कौन सा दिया, जला रहे हो तुम,
क्यों रोशनी को ला रहे हो तुम ।

कौन होते हो तुम, ये सब पूछें,
क्यों ये बातें बना रहे हो तुम ।

आग का बैर, तो है पानी से,
क्यों ये पौधे जला रहे हो तुम ।

लोग तुमसे हुए हैं, सब रूठे,
क्यों फिर मुस्कुरा रहे हो तुम ।

शोर बरपा है, चीख फैली है,
क्यों ये मातम मना रहे हो तुम ।

सबसे झगड़ा है, प्यार है किस से,
क्यों चोट दिल पे खा रहे हो तुम ।

कौन सा ख्वाब पड़ गया है पीछे,
क्यों ये आँखे सुजा रहे हो तुम ।

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