गुरुवार, 8 नवंबर 2018

कोई सुरूर

मेरी सुबह हो तुम
मेरी शाम हो
जिसे पुकारता हूँ घड़ी घड़ी
उस उल्फत का तुम नाम हो

तुम दीन मेरा
ईमान हो
तुम जान हो
अरमान हो

तुमसे दूर रहने में कुछ नहीं

तुम ख्वाब हो
तुम रात हो
तुम बेसबब कोई बात हो

जिसे भूल भी कभी ना सकूं
तुम वो हसीन मुलाक़ात हो

मेरे दिल का तुम जज़्बात हो
सेहरा में तुम बरसात हो

मेरी आँखों का तुम नूर हो
जन्नत की कोई तुम हूर हो
कुछ और दिल में हो न हो
मेरे दिल में तुम तो ज़रूर हो

खुदा ने मुझको था पिला दिया
तुम उसी का कोई सुरूर हो

तुम्हे चाहना ही है चाहता
दिल कुछ और तो नही चाहता

तुम्हे देखना हो कभी कभी
हो कभी कभी कुछ हिमाकतें
थोड़ी लर्जिशें थोड़ी शोखियाँ
तेरे दिल में भी बची रहें

मेरे दिल में जलती जो आग है
थोड़ी तेरे दिल में बची रहे

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