दर्द ज़्यादा तो नहीं है
थोड़ा है
एक मुठठी
थोड़ा है
एक मुठठी
और कतरा कतरा
रिस रहा है
रिस रहा है
कम हो रहा है
कि नहीं
ये पता नहीं
कि नहीं
ये पता नहीं
उलझन भी है थोड़ी सी
सर पे पाँव के बल
चल रही है
चल रही है
उतरना नहीं चाहती
तो क्यों न
दोनों के साथ ही चला जाए
दोनों के साथ ही चला जाए
अकेले चलने से तो अच्छा ही रहेगा |
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