गुरुवार, 8 नवंबर 2018

ग़ज़ल,


बहुत सीधी सड़क है और मैं हूँ,
थोड़ी उठा पटक है और मैं हूँ ।

सामने आईना है और मैं पीछे,
अक्स आगे है कहीं और मैं हूँ।

कौन दिखता है जब ढूंढा है मैंने,
है सर पर हाथ मेरा, और मैं हूँ।

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