गुरुवार, 8 नवंबर 2018

ग़ज़ल,

मैं हूँ सूली पे चढ़ने को तैयार मेरी जान ए जिगर /
तुम मेरे इश्क में गिरफ्तार नज़र आओ तो ।

हाँ मैं मरहम भी तैयार किये देता हूँ /
दर्द ए दिल से लाचार नज़र आओ तो ।

चलेंगे एक ही कश्ती में चाँद तक जानाँ /
तुम इस सफर को तैयार नज़र आओ तो ।

मैं झुक जाउँ तुम्हारे प्यार में बरगद की तरह /
तुम भी पीसा की मीनार नज़र आओ तो ।

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