गुरुवार, 8 नवंबर 2018

झूठ-सच

झूठ पहले भी बोला जाता था,
झूठ अब भी बोला जाता है,
झूठ पर लोग पहले भी भरोसा करते थे,
झूठ पर लोग अब भी भरोसा करते हैं,
सच कहने वालों को
पहले भी सूली पर चढ़ाया जाता था,
सच कहने वालों को
अब भी सूली पर चढ़ाया जाता है,
गैलिलियों ने सच कहा तो उसे मार दिया गया,

उस समय के उनके विरोधियों के बारे में
अब हम नहीं पढ़ते हैं,
अब हम
गैलिलियो के बारे में पढ़ते हैं।

क्योंकि अब हम देख सकते हैं वो
जो गैलिलियो ने अपने टेलीस्कोप से देखा था ।

वो जाहिल लोग जो उस समय थे,
वैसे ही जाहिल लोग अब भी हैं,
जाहिलियत से बड़ा कोई गुनाह नहीं,
जाहिलों को याद नहीं रखा जाता,
उनकी मिसाल नहीं दी जाती,
एेसे लोग उसी पेड़ को काटते हैं,
जिस पर वो बैठे होते हैं,

अगर कालिदास को तब ना टोका गया होता,
जब वो डाल काट रहे थे,
तब वो कालिदास नहीं बनते,
कालिदास बने,
क्योंकि किसी ने उन्हें बताया
कि अगर पेड़ की डाल काटोगे
तो नीचे गिर पड़ोगे,

इसलिए आईना दिखाने वालों की जरूरत
हर दौर में होती है,
अँधेरे दौर में ज्यादा होती है,

बरतोल्त बेख्त ने कहा था,
"क्या अँधेरे वक्त में भी गीत गाये जायेंगे,
हाँ, अँधेरे वक्त के गीत गाये जायेंगे,"
इसलिए सच को ढूँढिए,
हो सकता है आप भी मार दिये जायेंगे,

लेकिन अगर आपने सच को ढूँढा है,
तो आप जियेंगे,
अपने सच के साथ ।

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